‘बचपना’ में इस बार प्रस्तुत
कर रहा अपनी कविता
‘जाते बरस की दिनपत्री’ ! आशा है पसंद आयेगी
‘जाते बरस की दिनपत्री’ ! आशा है पसंद आयेगी
~ प्रेम रंजन अनिमेष
जाते बरस
की दिनपत्री
µ
वैसे
कुछ घटा तो नहीं है
ऐसा कि जाना उसका चाहे
जल्दी से
फिर भी खुश खुश बच्चा
कि साल बीता
जा रहा
और कोई हो न हो भले
वह खुश है
इसके चलते
नहीं कि खूब जश्न होगा
आने वाले का
इसलिए
कि जाते ही पुराने साल के
उसकी दिनपर्णी की
जिल्दें लगा लेगा
अपनी नयी किताबों में...