गुरुवार, 20 दिसंबर 2018

जाते बरस की दिनपत्री




बचपना में इस बार  प्रस्तुत कर रहा  अपनी कविता 
जाते बरस की दिनपत्री’ ! आशा है पसंद आयेगी
                        ~ प्रेम रंजन अनिमेष

जाते बरस की दिनपत्री    

µ

वैसे
कुछ घटा तो नहीं है
ऐसा कि जाना उसका चाहे
जल्दी से


फिर भी खुश खुश बच्चा
कि साल बीता  
जा रहा


और कोई हो न हो भले
वह खुश है


इसके चलते
नहीं कि खूब जश्न होगा
आने वाले  का


इसलिए
कि जाते ही पुराने साल के
उसकी दिनपर्णी की
जिल्दें लगा लेगा
अपनी नयी किताबों में...


गुरुवार, 29 नवंबर 2018

बाल कविता संग्रह 'माँ का जन्मदिन' से दो कवितायें



प्रकाशन विभाग, नयी दिल्ली से सद्य:प्रकाश‍ित मेरे बाल कविता संग्रह 'माँ का जन्मदिनको सिर आँखों पर रखने और सराहने के लिए आप सबका अत्यंत आभार  !  आपमें से कई लोगों ने अनुरोध किया है  संग्रह से कुछ और कवितायें साझा करने केे लिए  ।  तो प्रस्तुत है  माँ का जन्मदिन ' से दो और कवितायें : मोटी रोटी  एवं कहानी 

                                                          ~ प्रेम रंजन अनिमेष 




  

सोमवार, 22 अक्टूबर 2018

मॉं का जन्मदिन





बच्चों के लिए लिखना एक चुनौतीपूर्ण काम है और अच्छे लेखक का कर्त्तव्य भी ! सृजन जगत और पूरे समाज का यह उत्तरदायित्व है कि नयी उम्र की नयी आँखों के लिए अच्छा और सच्चा साहित्य सहज उपलब्ध हो । भारतीय ज्ञानपीठ से  वर्ष  2004  में प्रकाशित मेरी दूसरी कविता पुस्तक 'कोई नया समाचार' इस अर्थ में एक नयी पहल रही कि उसमें सारी कवितायें बच्चों को लेकर लिखी गयी हैं... बच्चों और बचपन के बहाने जीवन और जगत के बड़े फलक को देखने समझने की कोशिश की तरह ! इस संग्रह को बहुत सराहना मिली और कई जानकारों ने उसे सूर के बाद पहली बार बाल मन के इतने सहज जीवंत विलक्षण और बहुआयामी रूप उजागर करने वाला अनूठा काव्य माना ! तभी यह ख़याल आया कि बच्चों को माध्यम बना कर तो इतनी सारी  कवितायें लिख लीं...  कुछ उनके लिए भी लिखूँ । 




उसी का परिणाम है यह बाल कविता संग्रह ' माँ का जन्मदिन ' जो अभी अभी प्रकाशन विभाग, नयी दिल्ली से छप कर आया है । आठ पंक्तियों के एक अभिनव शिल्प में रची इसकी नन्ही नन्ही कवितायें दिल को छूने  वाली हैं और उतनी ही कौतुक भरी जिस तरह स्वयं बाल मन ! छंद में होने के चलते  ये सहज ही याद हो जाने वाली हैं और गेयता के चलते इन्हें पढ़ने के साथ साथ गाकर भी सुना सुनाया जा सकता है । इस संग्रह में बच्चों का बचपन और उनके आसपास का परिवेश और संसार इतनी रोचकता और अपनेपन के साथ आया है कि सबके मन को बरबस मोह लेता है ! विश्वास है कि सुन्दर चित्रों के साथ अभि‍नव अनुभव लोक रचती ये सार्थक और सुरुचिपूर्ण  कवितायें बच्चों को विशेष रूप से भाएँगी !


'बचपना में इस बार प्रस्तुत कर रहा अपने सद्य:प्रकाशि‍त इसी संग्रह से शीर्षक कविता माँ का जन्मदिन’ ! आशा है पसंद आयेगी
                           ~ प्रेम रंजन अनिमेष






गुरुवार, 27 सितंबर 2018

सतरंग शतरंग




बचपना में इस बार प्रस्तुत कर रहा अपनी कविता सतरंग शतरंग’ !
आशा है पसंद आयेगी
                        ~ प्रेम रंजन अनिमेष

सतरंग शतरंग   

µ


आसमान का रंग
आसमानी
तो धरती का क्या –
धानी ?


फिर वह क्यों नहीं
इन्द्रधनुष का हिस्सा  ?


जरूर दिलायेगा
उसे उसकी जगह


सोचता बच्चा


सुन ऊँची सोच उसकी 
मुसकुराता 
सतरंग भी 
शतरंग होता हुआ...



बुधवार, 29 अगस्त 2018

बिसरना





बचपना में साझा कर रहा इस बार अपनी यह नन्ही सी कविता बिसरना’ ! आशा है पसंद आयेगी
                                                 
                                             ~ प्रेम रंजन अनिमेष


बिसरना



याद  नहीं  नाना नानी की
याद  नहीं  दादा  दादी की

छोटा था  तो  गुजर गए वे
बड़ा हुआ तो बिसर गए वे

होता  कैसा  उनका  होना
सूना है  मन का इक कोना

यही नहीं  माँ  पास है कहाँ
छवि  कोई  तेरी शादी की !
                                             ~ प्रेम रंजन अनिमेष 

शुक्रवार, 27 जुलाई 2018

जागरण का गान





बचपना में इस बार प्रस्तुत कर रहा अपनी यह नन्ही सी कविता जागरण का गान’ ! आशा है पसंद आयेगी

                   ~ प्रेम रंजन अनिमेष

जागरण का गान  

µ


सुबह सुबह मधुस्वर चिड़ियों के
हिलमिल यही सँदेशा देते
वे ही जग में आगे बढ़ते
जो सूरज के सँग हैं जगते
या उससे भी पहले पहले





गुरुवार, 28 जून 2018

तैयारी





बचपना में इस बार प्रस्तुत कर रहा अपनी यह नन्ही सी कविता तैयारी’ ! आशा है पसंद आयेगी

                    ~ प्रेम रंजन अनिमेष

तैयारी

µ


तेज तेज चल रहीं हवायें
सोंधी सोंधी खुशबू साँसों में
बारिश पहली होने ही वाली है


देख रहा बच्चा
इक पन्ना
कागज का... 




बुधवार, 30 मई 2018

बढ़ई पर एक अंग्रेजी मीडियम बच्चे का हिंदी लेख





बचपना में इस बार प्रस्तुत कर रहा अपनी यह नन्ही सी बाल कविता बढ़ई पर एक अंग्रेजी मीडियम बच्चे का हिंदी लेख’ ! आशा है पसंद आयेगी
  
                   ~ प्रेम रंजन अनिमेष


बढ़ई पर एक अंग्रेजी मीडियम बच्चे का हिंदी लेख
  

µ


कारपेंटर
तभी तो पायेगा
कार पेंट कर
कार लकड़ी की हुई अगर


कभी क्या
कर सकेगा सफर
जो सरपट रही गुजर
उस कार पर
कारपेंटर... ?



सोमवार, 23 अप्रैल 2018

बस





बचपना में इस बार प्रस्तुत कर रहा अपनी यह बाल कविता बस’ ! आशा है मन को बहुत भायेगी
  
                   ~ प्रेम रंजन अनिमेष

बस


µ



इधर उधर बस बस ही बस हर ओर नजर आये
दो तल वाली भी पर बस पर बस कोई कब रे
चलती सड़कें धरती चलती दुनिया चलती है
चलने को तो झूठ खोट अब सब चल जाता है
लेकिन जो भी चले – नहीं बस बोल उसे सकते



बस को बस ऐसे ही सब करने के चक्कर में
उलट न दें कल आगे चलकर चालक ही उसके



बहुत हुआ अब बस कर दे
बस का ये दुखड़ा रे
बस का ये पचड़ा रे
बस का जो रगड़ा रे
बस का हर झगड़ा रे...  





बुधवार, 28 मार्च 2018

बालसुलभ




नवसंवत्सर की शुभकामनाओं सहित बचपना में इस बार साझा कर रहा अपनी यह नन्ही सी कविता   बालसुलभ’   

                                     प्रेम रंजन अनिमेष


बालसुलभ   


µ


मुच्छी बड़ी कि हो पुच्छी

वे चीजें जो हैं अच्छी

पीछे उनके भी क्यों छी

चुभलाते रोटी छूछी

बात किसी ने ये पूछी...  




मंगलवार, 27 फ़रवरी 2018

रंग के बारे में...




होली व नये संवत की शुभकामनाओं के साथ बचपना में इस बार प्रस्तुत कर रहा अपनी यह कविता रंग के बारे में धूल सने एक बच्चे के विचार...

  
                    ~ प्रेम रंजन अनिमेष

रंग के बारे में धूल सने एक बच्चे के विचार


µ


न मैं ऐसा
जो सोख ले सब रंग
न वो
जो लौटा दे सारे


न कोरा उजला
न ही पूरा काला


सतरंग के बीच का
कोई रंग मैं


आत्मसमर्पण संकेत सा
निष्प्रभ श्वेत नहीं


शांति प्रतीक कबूतर के पंख सा
मटमैला आसमानी


रविवार, 21 जनवरी 2018

कैसा बड़प्पन




नववर्ष की अनेक शुभकामनाओं व वाग्देवी वंदन के साथ बचपना में इस बार प्रस्तुत कर रहा अपनी यह कविता कैसा बड़प्पन
  
                    ~ प्रेम रंजन अनिमेष

कैसा बड़प्पन   

µ


रहीम ने था कहा
पर याद कहाँ रहा
थोड़ा बड़प्पन जो आया
छोटी बातें छोटे छोटे लम्हे छोटी खुशियाँ
बिसार बैठे
और अब आलम ये
कि तलवार से
निकाल रहे
पाँव में चुभा काँटा...!