बुधवार, 28 मार्च 2018

बालसुलभ




नवसंवत्सर की शुभकामनाओं सहित बचपना में इस बार साझा कर रहा अपनी यह नन्ही सी कविता   बालसुलभ’   

                                     प्रेम रंजन अनिमेष


बालसुलभ   


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मुच्छी बड़ी कि हो पुच्छी

वे चीजें जो हैं अच्छी

पीछे उनके भी क्यों छी

चुभलाते रोटी छूछी

बात किसी ने ये पूछी...  




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