‘बचपना’ में इस बार प्रस्तुत
कर रहा अपनी कविता ‘सतरंग शतरंग’ !
आशा है पसंद आयेगी
~ प्रेम रंजन
अनिमेष
सतरंग शतरंग
µ
आसमान का रंग
आसमानी
तो धरती का क्या –
धानी ?
फिर वह क्यों नहीं
इन्द्रधनुष का हिस्सा ?
जरूर दिलायेगा
उसे उसकी जगह
सोचता बच्चा
सुन ऊँची सोच उसकी
मुसकुराता
सतरंग भी
सतरंग भी
शतरंग होता हुआ...
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