मंगलवार, 25 अक्टूबर 2016

बस्ती की पाठशाला



बचपना में इस बार अपनी यह कविता बस्ती की पाठशाला प्रस्तुत कर रहा हूँ

                    ~ प्रेम रंजन अनिमेष


बस्ती की पाठशाला

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भूखे पेट  सँभाले  स्लेट
पहुँचा  बच्चा  पढ़ने लेट
गुरुजी  लगे दिखाने गेट
पीछे  सँसर रही थी गेठ


बालक  अपने कान उमेठ
बोला  और  न होगी हेठ
गुरुवर  बरसे  पान लपेट
चल जा सबसे पीछे बैठ...!  


                                                ~ प्रेम रंजन अनिमेष

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