रविवार, 31 दिसंबर 2023

' बच्चे तो बचपना करेंगे...’


 

‘बचपना’ के  मंच  इस बार प्रस्तुत कर रहा अपनी इसी शीर्षक की रचना ‘ बच्चे  तो  बचपना  करेंगे...’ । विश्वास  है पसंद आयेगी। 

आने वाले नववर्ष की ढेरों शुभकामनाओं सहित
                                                                                                                    ~ प्रेम रंजन अनिमेष

            

बचपना...

                           ~ प्रेम रंजन अनिमेष
                                
बच्चे    तो      बचपना     करेंगे 
आप   कहाँ   तक    मना   करेंगे 

धूप    हवा    से     करते    बातें 
आँसू    ओस   में    छना   करेंगे

जिस  मिट्टी से  बना है  सब कुछ 
उसकी    धूल   में    सना   करेंगे

  हर     मुश्किल    से     टकरायेंगे   
टूटेंगें       फिर       बना     करेंगे

पलकों  में  जिनकी  पलते  सपने
सच    का    भी    सामना   करेंगे

तन    के     इतने     ताने    बाने
   मन   को   क्यों   अनमना   करेंगे   

ये वो  खिलौने  हैं   गिर कर  जो
उठ कर  ख़ुद   फिर   तना  करेंगे

धन  साधन  कुछ हो  कि नहीं हो
साध    है   तो    साधना   करेंगे 

कितना   भी   परिवेश   अराजक
जो    सर्जक      सर्जना     करेंगे

हम  तो  अभावों   के   भीतर  भी
 भावों     की     संभावना    करेंगे 

कुछ   करने  से   ही   होगा  कुछ 
कब   तक   बस   प्रार्थना   करेंगे 

दोस्त  हो   या  दुश्मन   कोई  भी
शुभ    की   ही    कामना   करेंगे

 दुख की  कोख   भले  हों  शायर 
जग  के  लिए  सुख   जना  करेंगे
 
सच सपनों को जोड़ के 'अनिमेष'
रचा      नया     सचपना    करेंगे
                              
                                           प्रेम रंजन अनिमेष


इसी रचना की संगीतमय दृश्य प्रस्तुति आप नीचे के लिंक पर क्लिक कर देख सुन और और सराह सकते है : 


https://youtu.be/VY5QnmvRjKs?feature=shared


पुनः नववर्ष की शुभेक्षा सहित 


                              ~ प्रेम रंजन अनिमेष








बुधवार, 30 अगस्त 2023

माँ

 

'बचपना' में इस बार साझा कर रहा अपनी कविता ' माँ जो बाल भवन, पटना से प्रकाशित मासिक पत्रिका 'बाल किलकारी' के मई 2023  अंक में आयी है ।  आशा है मन को भायेगी,,,

                                        प्रेम रंजन अनिमेष


 


              ✍️ प्रेम रंजन अनिमेष 


शनिवार, 29 जुलाई 2023

कविता संग्रह ' माँ के साथ ' से एक प्यारी सी कविता ' चन्द्रबिन्दी '

 

 ' बचपना ' में इस बार प्रस्तुत कर रहा अपने शीघ्र प्रकाशित हो रहे कविता संग्रह ' माँ के साथ ' से एक प्यारी सी कविता ' चन्द्रबिन्दी ' ! आशा है बहुत पसंद आयेगी 


                                     ~ प्रेम रंजन अनिमेष


चन्द्रबिन्दी 


µ

 

माँ

 

बिन्दी नहीं

माथे पर

चंद्रबिन्दी 

लगाओ ना !

 

जैसे 

सजाया करता मैं 

हर बार 

लिखते हुए 

 

माँ...

 

µ

( आने वाले कविता संग्रह ' माँ के साथ ' से )

  

इसी की दृश्य श्रव्य प्रस्तुति इस लिंक पर देखी सुनी सराही जा सकती है :

 

https://youtu.be/bTOeryzg2Fg

 

                  प्रेम रंजन अनिमेष