~ प्रेम रंजन अनिमेष
चन्द्रबिन्दी
ꣲଁ
µ
माँ
बिन्दी नहीं
माथे पर
चंद्रबिन्दी
लगाओ ना !
जैसे
सजाया करता मैं
हर बार
लिखते हुए
माँ...
µ
( आने वाले कविता संग्रह ' माँ के साथ ' से )
इसी की दृश्य श्रव्य प्रस्तुति इस लिंक पर देखी सुनी सराही जा सकती है :
✍️ प्रेम रंजन अनिमेष
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