गरमी फिलहाल बहुत अधिक है ! सुनते हैं पारा इस बरस 130 सालों का कीर्तिमान पार कर गया । अभी तो सबको बारिश की भीनी फुहारों की प्रतीक्षा है । इसी पृष्ठभूमि में 'बचपना' में इस बार साझा कर रहा अपने आगामी बाल कविता संग्रह ‘आसमान का सपना‘ से अपनी यह नन्ही प्यारी सी कविता ‘ गरमी आई... ‘ । विश्वास है पसंद आयेगी
~ प्रेम रंजन अनिमेष
गरमी आई...
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गरमी आई गरमी आई
करती जम कर धूप सिंकाई
पेड़ दिया करते जो छाया
उनको इक इक कर कटवाया
माँ धरती का धानी आँचल
तार तार कर जलता निर्जल
दे किसकी इनसान दुहाई
उसकी ही यह आग लगाई
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✍️ प्रेम रंजन अनिमेष
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