'बचपना' में इस
बार प्रस्तुत कर रहा अपनी एक नन्ही सी कविता ' नाते ’ ।
विश्वास है पसंद
आयेगी ।
शुभकामनाओं सहित
~ प्रेम रंजन अनिमेष
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नाते
नाते तो हैं
चिड़ियों जैसे
पकड़ो हौले
उड़ जायेंगे
जोर जबर से
मर जायेंगे
मगर रहे गर
प्यार भरोसा
खुली हवा में
इतरायेंगे
आसमान
छू कर आयेंगे
पर बिछड़ेंगे छोड़ेंगे
ना बिसरायेंगे
उड़ कर
दाने तिनके चुन कर
घर आयेंगे...
प्रेम रंजन अनिमेष
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