‘बचपना’ में इस बार प्रस्तुत कर रहा अपने आनेवाले बाल
कविता संग्रह ‘आसमान
का सपना’ से अपनी यह कविता ‘आगत’ !
आशा है पसंद आयेगी
~ प्रेम रंजन अनिमेष
आगत
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कितना भविष्य सुंदर लगता
कल उन्नत और प्रखर लगता
सरसर फरफर आते
जाते
बच्चे विलायती बतियाते
सुन सुन घरवाले इतराते
बाहरवाले भी चकराते
फिर सोचो तो क्यों डर लगता
खतरा अंदर अंदर लगता…?
प्रेम रंजन अनिमेष
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