‘बचपना’ में इस बार प्रस्तुत
कर रहा अपनी कविता ‘ जीवन सत ’ !
आशा है पसंद आयेगी
~ प्रेम रंजन अनिमेष
जीवन सत
µ
देवलाल
था ग्वाल
बड़ा गोपाल
माड़ लेने
नित घर घर
जाता
गायों
और नये जायों को अपने
वही पिलाता
ताकि दूध
औरों की खातिर रहे
कथा यह सुन ली
अब कुछ कहें…
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें