गुरुवार, 28 फ़रवरी 2019

माँ के हाथ का खाना




बचपना’ में इस बार प्रस्तुत कर रहा  अपनी  कविता
माँ के हाथ का खाना’ ! आशा है पसंद आयेगी


                        प्रेम रंजन अनिमेष


माँ के हाथ का खाना  
              

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जैसे उजली धूप  में 
जैसे साफ पानी में 
छुपे सतरंग के 
रंग सात 



माँ वैसे ही 
तेरे हाथ के बने 
सादे खाने में भी 
अनंत आस्वादों की सौगात... 


                            प्रेम रंजन अनिमेष 



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