‘ बचपना ’ पर इस बार अपनी एक नन्ही सी कविता साझा कर रहा हूँ ~ ‘ नादानी ’ । आशा है पसंद आयेगी । इस बाल मंच के लिए आपका स्नेह व सहयोग अवश्य मिलेगा इस विश्वास के साथ...
~ प्रेम रंजन अनिमेष
नादानी

मच्छरदानी
चूहेदानी
साबुनदानी...
कितने दानी
दान नहीं जो करते कुछ भी
नाम मगर है जिनका दानी
सोचो कैसी यह नादानी…?
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