सोमवार, 30 सितंबर 2024

कविता शृंखला ' बचपन के कुछ खेल '

'बचपना' के इस मंच पर इस बार अपनी बड़ी ही अनूठी कविता शृंखला ' बचपन के कुछ खेल ' साझा करना चाहता हूँ, जिसे 'बिजूका' साहित्यिक ब्लॉग पर कुछ दिनों पूर्व देखा और सराहा गया है । लिंक कुछ इस तरह है :

 https://bizooka2009.blogspot.com/2024/09/blog-post_23.html 

 आप इस लिंक पर जाकर अवश्य पढ़ें और कवितायें कैसी लगीं बतायें। 

 शुभकामनाओं सहित 

  प्रेम रंजन अनिमेष

शनिवार, 30 मार्च 2024

मन माने की बात...

रंगपर्व होली और भारतीय नवसंवत अर्थात नये वर्ष की शुभकामनाओं सहित ' बचपना ' के इस बाल सृजन पटल पर इस बार साझा कर रहा अपनी एक नन्ही प्यारी मगर सार्थक सारगर्भित कविता ' मन माने की बात ' ! विश्वास है मन को छुयेगी और भायेगी 

✍️ *प्रेम रंजन अनिमेष*


मन माने की बात
                            ~ प्रेम रंजन अनिमेष
                            🌍
अब भला 
मानने और मनाने वाला 
कोई कहाँ

होली 
मान समझ लो
हो ली

किसी रंग का 
होना 
अगर किसी का छूना
बुरा न जाये माना

और बन सके
हिलने मिलने जुलने घुलने का
कच्चा पक्का झूठा सच्चा सा 
एक बहाना

न लगे कहीं
दिल को

अब तो इतनी ही 
और यही 
है अपनी 
होली...
                           🌱
( आने वाले कविता संग्रह ' अवगुण सूत्र ' और ' आज राज समाज ' से )
                         ✍️ *प्रेम रंजन अनिमेष*