'बचपना' में इस बार प्रस्तुत कर रहा अपने आने वाले बाल कविता संग्रह 'मीठी नदी का मीठा पानी' से अपनी यह नन्ही प्यारी सी कविता ' भोर विभोर ' !
आशा है पसंद आयेगी
~ प्रेम रंजन अनिमेष
भोर विभोर
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दुनिया देदीप्यमान
देश उदीयमान...!
मुन्ना मन में मान
सोया सुबह सुबह सपनों की चादर तान
जबकि सिर पर चढ़ आया
सूरज सा फिर इम्तिहान... !
सूरज सा फिर इम्तिहान... !
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