शुक्रवार, 27 जुलाई 2018

जागरण का गान





बचपना में इस बार प्रस्तुत कर रहा अपनी यह नन्ही सी कविता जागरण का गान’ ! आशा है पसंद आयेगी

                   ~ प्रेम रंजन अनिमेष

जागरण का गान  

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सुबह सुबह मधुस्वर चिड़ियों के
हिलमिल यही सँदेशा देते
वे ही जग में आगे बढ़ते
जो सूरज के सँग हैं जगते
या उससे भी पहले पहले