'बचपना' : एक प्रस्तावना
बच्चों के लिए इस 'बचपना' की कल्पना एक अरसे से मन मानस
में रही है । एक रचनात्मक मंच जिसमें उनके लिए रचनायें हों और उनका सृजन लोक । ग्यारह
वर्ष पहले जब भारतीय ज्ञानपीठ से मेरा दूसरा कविता संग्रह 'कोई नया समाचार'
प्रकाशित होकर आया जिसमें बच्चों के बहाने जीवन के विविध आयामों को छूने वाली
कवितायें हैं । संग्रह को बहुत सराहा गया और जल्दी ही वह आउट आफ स्टॉक भी हो गया
। आज भी उसे खोजते हुए कई लोगों के फोन आते हैं । इस संग्रह के साथ यह खयाल आया कि
बच्चों को लेकर कवितायें तो लिखीं इतनी सारी पर कुछ उनके लिए भी लिखना चाहिए ।
यों भी कहते हैं कि बच्चों के लिए लिखना हर अच्छे रचनाकार की जिम्मेदारी होती है
और एक निकष भी उसकी रचनात्मकता के लिए । कुछ इसी विनम्र उद्देश्य के साथ बच्चों
के लिए कई कविता संग्रह भी तैयार किये... जैसे 'माँ का जन्मदिन', 'आसमान का
सपना', 'कच्ची अमिया पकी निंबोलियाँ' 'कुछ दानें कुछ तिनके' तथा 'मीठी नदी का
मीठा पानी' । इनमें से कुछ कवितायें पत्रिकाओं एवं ब्लॉग पर तो आयीं लेकिन इन
बाल कविता संग्रहों के प्रकाशन में किसी प्रकाशक ने रुचि नहीं दिखायी । कुछ उसी
तरह जैसे बराबर माँग व बार बार आग्रह प्राप्त होने के बावजूद ज्ञानपीठ ने 'कोई
नया समाचार' का अभी तक पुनर्मुद्रण नहीं किया है (जबकि उसके साथ प्रकाशित उस सेट
के अन्य कविता संग्रहों के रिप्रिंट किये) ।
ऐसे में इस तरह के बाल रचनात्मकता के मंच की जरूरत और
महसूस हुई । साथ साथ स्वयं बच्चों को सृजनात्मकता की ओर प्रवृत्त करने और अभिव्यक्ति
का एक मंच प्रदान करने का ध्येय भी रहा । इसी सोच या स्वप्न का साकार रूप है यह
'बचपना' ! आशा है बच्चे और बड़े दोनों बच्चों के लिए और बाल रचनात्मकता
के इस साहित्यिक मंच का खुले दिल से स्वागत करेंगे और अपना पूरा सहयोग देंगे ।
ब्लॉग यह बन तैयार हो गया पहले ही । पर सोचा शुभारंभ आज 14
नवंबर के दिन करूँ । बाल दिवस के साथ साथ यह मेरे दोनों बच्चों अनुभव उत्कर्ष
एवं अभिनव उन्मेष का जन्मदिन भी है । घर में और उनके खेल के साथी भी प्यार से
उन्हें शौर्य धैर्य पुकारते हैं । आज बारह साल के हुए वे । शुभकामना शुभेच्छा और
शुभाशीष सहित उनके जन्मदिन पर एक सौगात की तरह यह शुरुआत... इस उम्मीद के साथ कि
आगे इस मंच को वे सँभाले सहेजेंगे भी ।
'बचपना' के इस
बाल मंच की पहली प्रस्तुति के बतौर अपनी कविता 'मीठी नदी का मीठा पानी' साझा कर रहा इस बार ! इस आग्रह के साथ कि बाल साहित्य के इस मंच के लिए आप सब –
बड़े और बच्चे सभी – अपनी बाल रचनायें
भेजें premranjananimesh@gmail.com
इस
ईमेल पर । विशेष कर बच्चे पूरे उत्साह से इस सृजनात्मक बाल मंच में सहभाग
करेंगे ऐसा विश्वास है । आपके सबके सहयोग व सद्भावना से ही यह प्रयास सफल होगा
~ प्रेम रंजन अनिमेष
☺
मीठी नदी का मीठा पानी

मीठी की मम्मी
मीठी के पापा
मीठी को लेकर
मीठी नदी गये
मीठी नदी का
पानी था मीठा
मीठी ने मीठा
पानी पिया
फिर सबसे कहा -
पानी अब और मीठा हो गया !
~ प्रेम रंजन अनिमेष
ye ek tongue twister bhi hai..
जवाब देंहटाएंye ek tongue twister bhi hai..
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