शुक्रवार, 25 दिसंबर 2015

माँ का जन्मदिन

इस बार प्रस्‍तुत है बच्‍चों के लिए लिखी अपनी कविताओं की पांडुलिपि 'माँ का जन्मदिन' से कुछ कवितायें । इन कविताओं के  लिए खास तौर पर आठ पंक्तियों के एक विशिष्‍ट शिल्‍प के साथ यह भी प्रयास किया है कि ये उतनी ही जीवंत और इन्‍द्रधनुषी हों जितना स्‍वयं बचपन...!  और अब  प्रतीक्षा है कि ये शीघ्र ही एक यादगार  बाल संग्रह के रूप में सामने आयें जिससे बच्‍चे इनका भरपूर आनंद उठा सकें । 
एक बार फिर आग्रह है कि बाल साहित्‍य के इस मंच के लिए आप सब बच्‍चे और बड़े भी अपनी बाल रचनायें अवश्‍य भेजें  premranjananimesh@gmail.com  इस ईमेल पर 

- प्रेम रंजन अनिमेष


( 1 )

माँ का जन्मदिन

माँ  तेरा क्या  जन्मदिवस है
अभी  तुम्हारा  कौन  बरस है

याद  तुम्हें  तो है इतना कुछ
याद नहीं है क्यों अपना कुछ

मैं तो  पहले थी इक चिड़िया
साथ तुम्हारे  जन्मी  यह माँ

याद  मुझे   इतना ही  बस है
एक  हमारा   जन्मदिवस  है




( 2 )


मोटी रोटी

दादी  की  यह   मोटी  रोटी
छूछी  भी  लगती  है  मीठी

गेहूँ  मकई  चना   मिला है
घर की  चक्की का आटा है

उपलों  पर  इसको सेंका है
सत  कुछ  बूढ़े  हाथों का है

जैसे   जीवन   जैसे  माटी
सोंधी  सोंधी  लगती  रोटी




( 3 )


कहानी

नानी    होगी   तुम्हें   सुनानी
नयी  नयी   हर  रोज  कहानी

नानी   तुम   सरकाओ  घूँघट
इक किस्सा है इक इक सिलवट

आँचल  से   कुछ  धागे  तोड़ो
उनसे  ही  फिर  किस्से  जोड़ो

होगी   जितनी   बात   पुरानी
होगी   उतनी   नयी   कहानी


शनिवार, 14 नवंबर 2015

मीठी नदी का मीठा पानी

'बचपना' : एक प्रस्तावना


बच्‍चों के लिए इस 'बचपना' की कल्‍पना एक अरसे से मन मानस में रही है । एक रचनात्‍मक मंच जिसमें उनके लिए रचनायें हों और उनका सृजन लोक । ग्‍यारह वर्ष पहले जब भारतीय ज्ञानपीठ से मेरा दूसरा कविता संग्रह 'कोई नया समाचार' प्रकाशित होकर आया जिसमें बच्‍चों के बहाने जीवन के विविध आयामों को छूने वाली कवितायें हैं । संग्रह को बहुत सराहा गया और जल्‍दी ही वह आउट आफ स्‍टॉक भी हो गया । आज भी उसे खोजते हुए कई लोगों के फोन आते हैं । इस संग्रह के साथ यह खयाल आया कि बच्‍चों को लेकर कवितायें तो लिखीं इतनी सारी पर कुछ उनके लिए भी लिखना चाहिए । यों भी कहते हैं कि बच्‍चों के लिए लिखना हर अच्‍छे रचनाकार की जिम्‍मेदारी होती है और एक निकष भी उसकी रचनात्‍मकता के लिए । कुछ इसी विनम्र उद्देश्‍य के साथ बच्‍चों के लिए कई कविता संग्रह भी तैयार किये... जैसे 'माँ का जन्‍मदिन', 'आसमान का सपना', 'कच्‍ची अमिया पकी निंबोलियाँ' 'कुछ दानें कुछ तिनके' तथा 'मीठी नदी का मीठा पानी' । इनमें से कुछ कवितायें पत्रि‍काओं एवं ब्‍लॉग पर तो आयीं लेकिन इन बाल कविता संग्रहों के प्रकाशन में किसी प्रकाशक ने रुचि नहीं दिखायी । कुछ उसी तरह जैसे बराबर माँग व बार बार आग्रह प्राप्‍त होने के बावजूद ज्ञानपीठ ने 'कोई नया समाचार' का अभी तक पुनर्मुद्रण नहीं किया है (जबकि उसके साथ प्रकाशित उस सेट के अन्‍य कविता संग्रहों के रिप्रिंट किये) ।
ऐसे में इस तरह के बाल रचनात्‍मकता के मंच की जरूरत और महसूस हुई । साथ साथ स्‍वयं बच्‍चों को सृजनात्‍मकता की ओर प्रवृत्‍त करने और अभिव्‍यक्‍ति का एक मंच प्रदान करने का ध्‍येय भी रहा । इसी सोच या स्‍वप्‍न का साकार रूप है यह 'बचपना' ! आशा है बच्‍चे और बड़े दोनों बच्‍चों के लिए और बाल रचनात्‍मकता के इस साहित्‍यिक मंच का खुले दिल से स्‍वागत करेंगे और अपना पूरा सहयोग देंगे ।
ब्‍लॉग यह बन तैयार हो गया पहले ही । पर सोचा शुभारंभ आज 14 नवंबर के दिन करूँ । बाल दिवस के साथ साथ यह मेरे दोनों बच्‍चों अनुभव उत्‍कर्ष एवं अभिनव उन्‍मेष का जन्‍मदिन भी है । घर में और उनके खेल के साथी भी प्‍यार से उन्‍हें शौर्य धैर्य पुकारते हैं । आज बारह साल के हुए वे । शुभकामना शुभेच्‍छा और शुभाशीष सहित उनके जन्‍मदिन पर एक सौगात की तरह यह शुरुआत... इस उम्‍मीद के साथ कि आगे इस मंच को वे सँभाले सहेजेंगे भी ।
    'बचपना' के इस बाल मंच की पहली प्रस्‍तुति के बतौर अपनी कविता 'मीठी नदी का मीठा पानी' साझा कर रहा इस बार ! इस आग्रह के साथ कि बाल साहित्‍य के इस मंच के लिए आप सब – बड़े और बच्‍चे सभी –  अपनी बाल रचनायें भेजें premranjananimesh@gmail.com  इस ईमेल पर । विशेष कर बच्‍चे पूरे उत्‍साह से इस सृजनात्‍मक बाल मंच में सहभाग करेंगे ऐसा विश्‍वास है । आपके सबके सहयोग व सद्भावना से ही यह प्रयास सफल होगा

                                 ~ प्रेम रंजन अनिमेष



 

 मीठी नदी का मीठा पानी


मीठी की मम्मी
मीठी  के  पापा
मीठी को  लेकर
मीठी नदी  गये

मीठी  नदी  का
पानी था  मीठा
मीठी  ने  मीठा
पानी     पिया


फिर सबसे कहा -


पानी अब और मीठा हो गया !


                                          ~ प्रेम रंजन अनिमेष