बुधवार, 31 अगस्त 2022

माँ का व्रत...

 


'बचपना' में इस बार साझा कर रहा अपने आगामी बाल कविता संग्रह आसमान का सपना से अपनी यह नन्ही प्यारी सी कविता माँ का व्रत... ! विश्वास है पसंद आयेगी

                               ~  प्रेम रंजन अनिमेष

 

 

*माँ का व्रत*

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माँ   इतने  सारे  व्रत  मत  कर

नाजुक अपनी सेहत  मत  कर

 

ध्यान  सभी  का  तो  धरती  है

अपनी    अनदेखी   करती   है

 

बाँटा   करती   सबको  जीवन

खुद खोती जाती  तन मन धन

 

ऐसी  अपनी  हालत   मत कर

और  खराब  तबीयत  मत कर

  µ

 

                     प्रेम रंजन अनिमेष