नववर्ष की शुभकामनाओं सहित 'बचपना' में इस बार साझा कर
रहा अपने आगामी बाल कविता संग्रह ‘आसमान का सपना’ से अपनी यह नन्ही प्यारी सी कविता ‘ तबला ‘ । विश्वास है बहुत पसंद आयेगी
~ प्रेम रंजन अनिमेष
तबला
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जोड़ा है यह तबला
इक मोटा इक दुबला
बजा रही है औरत
करती अपनी संगत
साज आज खुश कितना
बोले सुर में इतना
नहीं बला या अबला
वह कोमल वह
सबला
✍️ प्रेम रंजन अनिमेष