रविवार, 31 अक्टूबर 2021

ज्योतिर्गमय...

 

 



ज्योतिपर्व दीपावली की शुभकामनाओं के साथ बचपना’ में इस बार प्रस्तुत कर रहा अपने आनेवाले बाल कविता संग्रह  ‘आसमान का सपना’ से अपनी कविता  ‘ज्योतिर्गमय’ !

आशा है पसंद आयेगी

                                        ~ प्रेम रंजन अनिमेष

 

ज्योतिर्गमय

 

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भीतर उजास बाहर उजास

फैले जग जीवन में प्रकाश


है काम हवाओं का चलना

संकल्प दियों का है जलना


हर  लौ  जूझे  अँधियारे  से

उजियारा मिल उजियारे से


भर  दे जन मन में नयी आस

सद्भाव संधि समता समास


 प्रेम रंजन अनिमेष