फिर
वसंत आया है ! और इस बार का वसंत विशेष है । क्योंकि यह महामारी से पीड़ित प्रभावित और डर-अलगाव-दुराव के लम्बे दौर के बाद आशाओं की नयी किरण और विश्वास के प्रखर उजास की तरह आया है । नयी आशाओं का यह नव-वसंत फूले
फले और यह विश्वास इसी तरह बना
रहे बढ़ता रहे इस कामना के साथ 'बचपना' की इस बगिया में इस माह अपनी कविता 'फिर
वसंत...' का यह नन्हा सा फूल आप सबके लिए प्रस्तुत कर रहा हूँ
~ प्रेम रंजन अनिमेष
फिर वसंत...
µ
फिर वसंत आया
है
सुख अनंत लाया
है
पात नये डालों
पर
फूल विहँसते खिल कर
चहक महक उपवन में
गुनगुन धूप आँगन
में
हर मन हर्षाया है
रस से सरसाया है
प्रेम रंजन अनिमेष