देश
और दुनिया में अभी जो परिस्थितियाँ हैं उनके चलते विद्यालय महीनों से बंद
हैं। ऑनलाइन कक्षायें तो शुरू हुई हैं
लेकिन विद्यार्थियों को विद्यालय परिसर
से दूर रखा गया है ताकि विषाणु संक्रमण से बचाव सुनिश्चित किया जा सके । छुट्टियाँ
तो अच्छी हैं पर इतनी लम्बी छुट्टी ? कुछ इन्हीं
मनोभावों पर अपनी यह कविता ‘विद्यालय की याद में बच्चे’ साझा कर रहा 'बचपना' में
इस बार
घर से ही
प्रार्थना कर रहे
हाथ जोड़ कर बच्चे
दिनों महीनों हो गये
स्कूल की घंटी सुने हुए
रीती कब की
बैठे बैठे
मौज पिटारी
होकर ढीली
उतर गयी
जंजीर सायकिल की
डपटा किसको करते होंगे अब मास्टर जी
भौंक रहा किस पर होगा आवारा मोती
सपनों में परकाल लगा
कोशिश करते लें खोल किस तरह
ताला शाला मुख्य द्वार का
इतनी लंबी छुट्टी भी
किसको भला भली लगती...
प्रेम रंजन अनिमेष