कोरोना
अब जान गया है बच्चा बच्चा ! इस आस विश्वास के साथ कि सब सुकशल होंगे अपने अपने घरों में अपनी यह
नन्ही सी बाल कविता ‘आये कोरोना को रोना’ प्रस्तुत कर रहा 'बचपना' में इस बार,,,
~ प्रेम रंजन अनिमेष
आये कोरोना को रोना 
µ
समय कठिन मत धीरज खोना
सजग सबल इसमें है होना
एक एक कर देता दस्तक
पहुँच रहा है सबके दर तक
आया यह आजार नया है
खौफ हर तरफ फैल गया है
मिल कर ऐसी दवा करो ना
आये कोरोना को रोना
प्रेम रंजन अनिमेष