होली व नये संवत की शुभकामनाओं के साथ ‘बचपना’ में इस बार प्रस्तुत कर रहा अपनी यह कविता ‘रंग के बारे में धूल सने एक बच्चे के विचार...’
~ प्रेम रंजन अनिमेष
रंग के बारे में धूल सने एक बच्चे के विचार
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न मैं ऐसा
जो सोख ले सब रंग
न वो
जो लौटा दे सारे
न कोरा उजला
न ही पूरा काला
सतरंग के बीच का
कोई रंग मैं
आत्मसमर्पण संकेत सा
निष्प्रभ श्वेत नहीं
शांति प्रतीक कबूतर के पंख
सा
मटमैला आसमानी…