नववर्ष की अनेक शुभकामनाओं व वाग्देवी वंदन के साथ
‘बचपना’ में इस बार प्रस्तुत कर रहा अपनी यह कविता ‘कैसा बड़प्पन’
~ प्रेम रंजन अनिमेष
कैसा बड़प्पन
µ
रहीम
ने था कहा
पर
याद कहाँ रहा
थोड़ा
बड़प्पन जो आया
छोटी
बातें छोटे छोटे लम्हे छोटी खुशियाँ
बिसार
बैठे
और
अब आलम ये
कि
तलवार से
निकाल
रहे
पाँव
में चुभा काँटा...!