सोमवार, 27 फ़रवरी 2017

सच्ची चाहत

जाता वसंत और आता फागुन...! ‘बचपना की बगिया में इस बार प्रस्तुत कर रहा अपनी इस नन्ही कविता का पुष्प...
  
                    ~ प्रेम रंजन अनिमेष

सच्ची चाहत


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औरों की तरह नहीं वह बच्चा
रंग बिरंगी तितलियों के पीछे भागता
सतरंग क्या लेना उन परों वाला 
सत सुवास चाहता संजोना
खिलते खि‍लखिलाते फूलों का...