जाता वसंत और आता फागुन...! ‘बचपना’ की बगिया में इस बार
प्रस्तुत कर रहा अपनी इस नन्ही कविता का पुष्प...
~ प्रेम रंजन अनिमेष
सच्ची चाहत
µ
औरों की तरह नहीं वह बच्चा
रंग बिरंगी तितलियों के पीछे भागता
सतरंग क्या लेना उन परों वाला
सत सुवास चाहता संजोना
खिलते खिलखिलाते फूलों का...