मंगलवार, 19 जुलाई 2016

'सयानापन' और 'पौधा'

इस बार प्रस्‍तुत है बच्‍चों के लिए लिखी अपनी कविताओं की पांडुलिपि 'माँ का जन्मदिन' से कुछ कवितायें । जैसा पहले भी  निवेदन  किया था, इन कविताओं के  लिए खास तौर पर आठ पंक्तियों के एक विशिष्‍ट शिल्‍प के साथ यह  प्रयास किया है कि ये उतनी ही जीवंत और इन्‍द्रधनुषी हों जितना स्‍वयं बचपन...!  अब  प्रतीक्षा है कि ये कवितायें  एक यादगार  बाल संग्रह के रूप में सामने आयें जिससे बच्‍चे इनका भरपूर आनंद उठा सकें ।  

                             - प्रेम रंजन अनिमेष

(1)

                           सयानापन

  
पानी कम है  खरचा मत करना
अपने दुख का चरचा मत करना


हाथ किसी आँचल में मत पोंछो
सोचो जब  सबका अच्छा सोचो


रूखा  सूखा जो  मन से  खाना
दिन भर खटना शाम ढले गाना


सच के  घोड़े  बेचा  मत करना
सोकर  सपने  बाँचा मत करना



(2)

पौधा


बाहर  इक   नन्हा  पौधा  है
बिना  लगाये   उग  आया है


छोटी  सी  इसकी  है  फुनगी
जिस पर  ओस चमकती रहती


शाम काम से  जब तुम आओ
बच्चों  को  आवाज   लगाओ


बोलो  इससे   भी   सुनता है
प्यार  मिले  तो  खुश होता है